ॐ
संदेश
*
प्रयोग दिनेश जी,
वंदे भारत-भारती।
प्रभु चित्रगुप्त जी सकल सृष्टि के मूल हैं। अपनी शक्ति के ३- अशों विधि-हरि-हर के माध्यम से वे सृष्टि का निर्माण, पालन और विनाश करते हैं।
इसीलिए पुराणकार ' चित्रगुप्त प्रणम्यादौ वात्मानम् सर्वदेहिनाम्' अर्थात 'चित्रगुप्त जी को सबसे पहले नमस्कार जो सर्व देहधारियों में आत्मा के रूप में विराजमान हैं' कहकर उनकी वंदना करता है।
चित्रगुप्त वंशजों का मानव सभ्यता के विकास में अनुपम योगदान है। आप अपनी पत्रिका के माध्यम से चित्रगुप्तवंशियों रे अवदान को प्रकाश में ला सकें तो अक्षय कीर्ति व पुण्य के भागी होंगे।
अनंत शुभकामना सहित
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
संयोजक विश्व कायस्थ समाज
वंदे भारत-भारती।